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बलिया: निवर्तमान प्रधान को चुनाव लड़ने पर लगी रोक, हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई थी जांच

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उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दुबहड़ के ग्राम पंचायत माधोपुर में ग्रामसभा की भूमि कब्जा करने में पति का साथ देने के आरोप में निवर्तमान प्रधान देवांती देवी पर पांच साल तक पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई है. हाईकोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने उक्त कार्रवाई की है. 15 फरवरी को जारी इस फैसले की खबर मिलते ही गांव का राजनीतिक माहौल गरमा गया है.

माधोपुर गांव के हरेंद्र यादव पुत्र प्रभुनाथ यादव ने 17 जून 2016 को तत्कालीन जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया था कि माधोपुर के मौजा गोविंदपुर में नवीन परती भूमि पर ग्राम प्रधान देवांती देवी के पति महावीर चौधरी ने कब्जा करने की नीयत से चहारदीवारी का निर्माण कराया है. शिकायती पत्र की जांच उपजिलाधिकारी सदर ने की और 30 जून 2016 को ग्राम प्रधान के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की. इसके बाद अपर जिलाधिकारी ने जिला पंचायती राज अधिकारी के जरिए ग्राम प्रधान के विरुद्ध कार्रवाई करने की संस्तुति की. इसके आधार पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने प्रधान के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार को सीज कर दिया.

प्रधान के पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की
जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ आरोपी प्रधान के पति ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका दाखिल की. इसमें अदालत ने वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार बहाल करते हुए 20 अक्तूबर 2016 को ग्राम समाज की भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया. हाईकोर्ट के आदेश पर जिलाधिकारी ने 14 अक्तूबर 2020 को मामले की अंतिम जांच मुख्य राजस्व अधिकारी से कराने के साथ ही पुलिस बल के साथ उपजिलाधिकारी सदर को अवैध अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था.

उधर, डीपीआरओ द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस में प्रधान द्वारा स्पष्टीकरण में कहा गया कि नवीन परती भूमि से उसका कोई वास्ता नहीं है. जिलाधिकारी को दी गई मुख्य राजस्व अधिकारी की रिपोर्ट में प्रधान के पति द्वारा ग्राम सभा की भूमि पर अतिक्रमण पाया गया. इस पर तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने 15 फरवरी 2021 को प्रधान देवांती देवी को पति को संरक्षण देने का दोषी मानते हुए अगले पांच वर्ष तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी.

एक तरफा कार्रवाई का आरोप
उधर, पंचायत चुनाव करीब होने से गांव में तत्कालीन जिलाधिकारी के फैसले को लेकर कयासबाजी का दौर शुरू हो गया है. हालांकि महावीर चौधरी का कहना है कि सत्ताधारी पार्टी के एक मंत्री के इशारे पर मामले में एक तरफा कार्रवाई की गई. इस फैसले का उनकी चुनावी तैयारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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