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बापू, IAS बन गया हूं… खेत में मजदूरी कर रहे पिता को आया बेटे का फोन

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नई दिल्ली: दोपहर का वक्त था… चिलचिलाती गर्मी के बीच सूरज अपनी पूरी तपिश पर था। तेलंगाना के सिद्दीपेट जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर कोंडापाका गांव में बुद्धि नरेश अपने खेतों में काम कर रहे थे। तभी, साइड में रखे उनके मोबाइल की घंटी बजी। नरेश ने मोबाइल देखा, तो बड़े बेटे बुद्धि अखिल का फोन था।

मिट्टी में सने हाथ धोकर नरेश ने मोबाइल उठाया और कान पर लगाकर जैसे ही हेलो कहा, दूसरी तरफ से आवाज आई- बापू नेनु आईएएस अइया… (बापू मैं आईएएस बन गया हूं)। इतना सुनते ही बुद्धि नरेश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान खिल गई। नरेश तुरंत घर पहुंचे। पत्नी ललिता और छोटे बेटे अजय को खुशखबरी दी, तो पूरा परिवार खुशी में नाचने लगा।

ये कहानी है बुद्धि अखिल की, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 321वीं रैंक हासिल की है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब अखिल को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक यूपीएससी में सफलता मिली है। तेलंगाना टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में अखिल को 566वीं रैंक मिली थी। इसके बाद उनकी नियुक्ति दिल्ली पुलिस में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर हुई। हालांकि, अखिल का मकसद था- आईएएस बनना। उन्होंने तय किया कि वो एक बार फिर से कोशिश करेंगे। अखिल ने इसके लिए अपने विभाग से एक साल की छुट्टी ले ली।

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